Tuesday, September 2, 2025

नियतिवाद और स्वतंत्र इच्छा: नदी और नाव की कहानी

नियतिवाद और स्वतंत्र इच्छा: नदी और नाव की कहानी


जीवन एक नदी की तरह है, जो अपने अपरिवर्तनीय बहाव के साथ निरंतर आगे बढ़ती है। नदी अपनी धारा में तय रास्ते पर बहती है, और इसे कोई भी नहीं रोक सकता। इसी तरह, हमारे जीवन के कई पहलू पहले से तय होते हैं—जैसे हमारा जन्म—हम कहाँ हुए, कौन से परिवार में, किस वातावरण में बड़े हुए, ये सभी बातें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं और हमारे भविष्य के लिए सीमाएँ निर्धारित करती हैं।

लेकिन उसी नदी में तैरती हुई नाव और उसकी दिशा नाविक के हाथ में होती है। नाविक के पास अपनी नाव को मोड़ने, रफ्तार बढ़ाने या कम करने की स्वतंत्रता होती है। यहाँ पर “नाव” व्यक्ति के जीवन और उसके निर्णयों का प्रतीक है। हालाँकि नदी का बहाव निर्धारित है, पर नाविक के द्वारा लिये गए निर्णय भविष्य के रास्ते में थोड़ा बदलाव ला सकते हैं।

नियतिवाद और परिवर्तनीयता

हमारे जीवन में रोजाना जो फैसले और क्रियाएं होती हैं, वे हमारे और दूसरों के द्वारा लिए गए निर्णयों से प्रभावित होती हैं। यह हमें वह अवसर देता है कि हम क्या करना चाहते हैं, किस दिशा में जाना चाहते हैं—क्या हम तेजी से बहाव के साथ बहना चाहते हैं या उसके विपरीत दिशा में जाकर जीवन के नए अनुभवों का आनंद लेना चाहते हैं।
परिवर्तन की यह क्षमता हमारी स्वतंत्र इच्छा को दर्शाती है। इस स्वतंत्रता की सीमा भी हमारे आसपास के वातावरण, परिस्थितियों और अपनी मानसिक शक्ति द्वारा निर्धारित होती है। अगर हम ज्यादा परिवर्तन चाहते हैं तो वह अच्छा या बुरा हो सकता है, पर यह बदलाव संभव है।

बास्केटबॉल का उदाहरण

एक बास्केटबॉल के खेल को लें। इस खेल के नियम, समय सीमा, और अंतिम परिणाम निश्चित होते हैं। एक टीम जीतेगी, एक हारेगी। यह खेल की नियत संरचना है। लेकिन हर खिलाड़ी के छोटे-छोटे निर्णय—गेंद कब पास करनी है, कब शूट करना है, कब बचाव करना है—वे अगले पलों की संभावनाओं और परिणामों को बदल देते हैं। यह दिखाता है कि नियतिवाद और स्वतंत्र इच्छा दोनों साथ-साथ काम कर रहे हैं। खेल का मूल ढांचा तो निश्चित है, पर निर्णय और क्रियाएं प्रत्यक्ष रूप से परिणामों को प्रभावित करती हैं।

नतीजा

इसलिए, नियतिवाद और स्वतंत्र इच्छा को एक-दूसरे के विपरीत या अलग समझना सही नहीं होगा। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। जीवन के अनेक पहलू निर्धारित होते हैं, पर हमारे निर्णय हमें दिशा बदलने की ताकत देते हैं। हम पूर्णतः स्वायत्त नहीं हैं, फिर भी हम अपनी सीमाओं के भीतर सक्रियता और नियंत्रण की शक्ति रखते हैं।

यह दृष्टिकोण हमें यह समझाता है कि जीवन में हम अपने भाग्य के नाविक हैं, जो नियत नदी में अपनी नाव को स्वयं दिशा देते हैं। हमारी परिस्थितियां और वातावरण दरिया की तरह हैं, जहां बहाव निर्धारित है, पर निर्णयों की ताकत नाव को नई दिशा दे सकती है।

हमारा जीवन नियत और स्वतंत्र इच्छा के बीच के समन्वय का परिणाम है, जिसमें दोनों लगातार एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं।



मेरे शब्दों में " मैं इसे इस तरह समझता हूँ कि जीवन एक नदी के बहाव जैसा है। वह नदी अंततः निश्चित रूप से बहती है, लेकिन उस नदी में नाव और उसकी दिशा नाविक के हाथ में रहती है। कई चीजें पहले से निर्धारित होती हैं, जैसे कि व्यक्ति कहाँ जन्म लेता है, उसके हालात और परिवेश, और ये सब भविष्य को तय करते हैं। लेकिन हर पल जो निर्णय हम या दूसरे लेते हैं, वे भविष्य में थोड़ा बदलाव ला सकते हैं।

यह हम पर निर्भर करता है कि हम किस दिशा में जाना चाहते हैं—क्या तेज़ी से नदी के साथ बहना है या फिर विपरीत धारा के खिलाफ जाकर सूर्योदय देखना और जीवन के अनुभवों का आनंद लेना। परिवर्तन की सीमा भी हमारे नियंत्रण में रहती है, अगर हम ज्यादा बदलाव चाहते हैं तो वह सकारात्मक या नकारात्मक भी हो सकता है।
एक और उदाहरण के तौर पर बास्केटबॉल का खेल ले सकते हैं, जिसमें सारे नियम, समय सीमा और अंत में परिणाम तय होता है—एक विजेता होगा और एक हारेगा। लेकिन हर खिलाड़ी जो निर्णय लेता है, उसका हर क्रिया-कलाप अगले मौके और संभावनाओं को बदल देता है।
इसलिए नियतिवाद (Determinism) और स्वतंत्र इच्छा (Free Will) अलग नहीं हैं, वे दोनों साथ मिलकर चलते हैं और एक-दूसरे में शामिल होते हैं। दोनों मिलकर जीवन को आकार देते हैं।"




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